Story Behind The Launching Of Blog - Dinesh Goswami Free English Course Dinesh Goswami Free English Course ( दिनेश गोस्वामी फ्री इंग्लिश कोर्स )


Story


Behind The Launching Of Blog


“ Dinesh Goswami Free English Course ”


दोस्तों, जैसा कि आप जानते ही हैं, कि मैंने 29 मार्च, 2020, को अपनी वाइफ ( भावना गोस्वामी ) के जन्मदिवस के शुभ अवसर पर अपने ब्लॉग [ Dinesh Goswami Free English Course ( दिनेश गोस्वामी फ्री इंग्लिश कोर्स ) ] को आप लोगों की सेवा में समर्पित किया था ! मैं, इसे आप लोगों का अपार स्नेह और प्यार ही कहूंगा कि ब्लॉग को लांच करते ही, मुझे, आप लोगों के ढेरों बधाई संदेश आने शुरू हो गए ! आप सभी के बधाई संदेशों के लिए, मैं आप सभी का एक बार फिर से, तहे-दिल से शुक्रिया अदा करता हूँ !

 

दोस्तों, आपके अधिकतर बधाई संदेशों में, आप मुझसे पूछते हैं कि आपको यह ब्लॉग बनाने का विचार कैसे आया ? आपको इस ब्लॉग को बनाने की प्रेरणा कैसे मिली ?

 

दोस्तों, ब्लॉग बनाने से पहले ही, मुझे इस बात का एहसास था कि भविष्य में मुझे इस तरह के प्रश्नों का सामना करना पड़ेगा ! मुझे यह भी पता था कि इन सभी प्रश्नों का उत्तर देना मेरे लिए बहुत मुश्किल होगा, क्योंकि इस ब्लॉग को बनाने का कारण या उद्देश्य, मेरी जिंदगी का बहुत ही पर्सनल हिस्सा है ! और, आप सभी लोग जानते ही हैं, कि मैं कभी भी अपनी पर्सनल लाइफ से सम्बंधित बातें किसी के भी साथ भी डिस्कस नहीं करता ! दोस्तों, सच बताऊँ, मुझे यह सचमुच बिलकुल भी पसंद नहीं है !

 

पर, मुझे इस बात का बहुत बुरा भी लग रहा था, और शर्मिंदगी भी महसूस हो रही थी कि बारी - बारी पूछने के बाद भी मैं आपके प्रश्नों का उत्तर देने की हिम्मत जुटाने में सक्षम नहीं हो पा रहा था ! मुझे लगातार परेशान देखकर एक दिन मेरी वाइफ ने जब मुझसे मेरी परेशानी का सबब पूछा, तो मैंने उसे सारी बात बता दी !

 

थोड़ी देर चुप रहने के बाद, वह हँसकर बोली, मैं जानती हूँ कि तुम्हारी परेशानी का एक कारण नहीं, बल्कि दो कारण हैं ! पहला कारण तो यह है कि तुम अपनी पर्सनल लाइफ की बातें किसी के साथ डिस्कस नहीं करना चाहते, और दूसरा कारण हैं, तुम्हारे संस्कार ! तुम्हारे संस्कारों के हिसाब से " अगर तुम अपने दाहिने हाथ से किसी को दान दे रहे हो, तो तुम्हारे बाएं हाथ को भी इस दान के बारे में, पता नहीं चलना चाहिए ! " फिर उसने कहा कि -" मैं तुम्हारे हर विचार और हर संस्कार की भावना से एकमत हूँ, और तुम्हारी सभी भावनाओं का आदर भी करती हूँ ! पर, मेरे विचार से तुमने जिस सफर की शुरुवात की है, उस पर चलते हुए, तुम्हें जनहित के लिए, अपने निजिगत दायरे से बाहर निकलना होगा ! शायद, इन सभी प्रश्नों का उत्तर पाकर, और लोगों को भी जनहित की प्रेरणा मिलें, वे भी तुम्हारी तरह दूसरों का भला करने के लिए तुम्हारे साथ चल पड़ें, तुम्हारें हमसफ़र हो जाएं ! इससे वे न केवल खुद लाभान्वित होंगें, बल्कि, दूसरों को भी लाभ बाटनें में सक्षम हो सकेंगें ! अगर ऐसा हुआ, तो तुमने " ज्ञान को बाँटने " के मकसद से, जिस सफर की शुरुवात की है, उस पर चलते हुए, वे भी तुम्हारे साथ जुड़ जाएंगे ! और, तुम्हें तो पता ही है कि - " एक से भले दो, और दो से भले चार ! "

 

यह कहकर वह शांत हो गई और उसकी दी हुई सीख से मेरे अंदर " विचारों की बेचैन लहरों से उफनता सागर " भी शांत हो गया ! मेरे जीवन के सफर में मेरी वाइफ ने एक बार फिर से एक अच्छे हमसफ़र का किरदार बखूबी निभाया ! मुझे फिर से एक बहुत अच्छी प्रेरणा मिली, मुझे एक बार फिर से अपनी वाइफ पर गर्व हुआ, मुझे एक बार फिर से उसके सामने नतमस्तक होने का मौका मिला ! मैंने अपने सारे विचारों और संस्कारों को छोड़, निश्चय किया कि मैं अपनी पूरी ईमानदारी के साथ, यथार्थ रूप में, आपको वे सभी कारण बताऊँगा, जिन्होंने " [ Dinesh Goswami Free English Course ( दिनेश गोस्वामी फ्री इंग्लिश कोर्स ) ] " की बुनियाद रखने में अहम् भूमिका अदा की !

 

तो चलिए दोस्तों, मैं आपको अपने जीवन से सम्बंधित एक छोटी सी कहानी सुनाता हूँ ! दोस्तों, मैं आशा करता हूँ कि, इस कहानी को सुनने के पश्चात, आपको आपके सभी प्रश्नों के उत्तर मिल जाएंगें ! तो चलिए दोस्तों, शुरू करते हैं। ........ 

 

पिछले साल (2019) की बात है ! मेरी पत्नी का जनमदिन पास आ रहा था (29 मार्च) ! मैं जनरली, अपनी पत्नी को उसके जन्मदिन पर गोल्ड की कोई चीज़ उपहार में देता हूँ ! क्योंकि उसे गोल्ड पहनना बहुत पसंद है ! मैं इस बार उसे कुछ खास चीज़ देना चाहता था ! इसलिए मैंने बहुत सोचा, पर जितना सोचता, उतना ज़्यादा कन्फ्यूज़ हो जाता ! बहुत सोचने के बाद जब कुछ समझ नहीं आया, तो मैने सोचा कि अगर मुझे अपनी पत्नी कोई खास चीज़ देनी है, तो क्यूँ न मैं उसके पास जाकर, उससे ही  पूछ लूं कि क्या उसके मन में या उसके दिमाग में कुछ ऐसा है, जो वह लेना चाहती हो !

 

जब अपनी पत्नी से पूछा तो वह कुछ देर तक कुछ भी नहीं बोली ! उसने कहा – “ गोल्ड रहने दो, पहले ही इतना है कि पहन ही नही पाती हूँ, और अब ऐसा समय भी नहीं है कि बाहर पहन कर जाया जाए ! मुझे उसकी बात ठीक लगी ! मैनें कहा कि फिर बताओ, मैं तुम्हें क्या गिफ्ट दूं ! उसने, मुझे कहा कि मैं तुम्हें सोचकर बताऊँगी !

 

कुछ दिनों बाद मैने अपनी पत्नी से कहा कि –“ तुमने गिफ्ट के बारे में बताया नहीं ! ” उसने मेरी ओर देखा और बहुत सीरीयस होकर मुझसे पूछा, - “ जो गिफ्ट मैं माँगूंगी, मुझे दोगे ? ” मैने जब एक दम से बोला “ बिलकुल ” तो उसने कहा “ भगवान की दया से मेरे पास सब कुछ है ! तुम मुझे कुछ ऐसा गिफ्ट दो जो अमूल्य हो, जिसकी कोई कीमत न हो ! मेरा दिमाग़ घूम गया ! मैं तो पहले ही बहुत कन्फ्यूज़ था, उसने मुझे और मुश्किल में डाल दिया ! मैने परेशान हो कर उसे कहा कि - "तुम्ही बताओ, कि मैं ऐसा क्या दे सकता हूँ ?”

 

उसने कहा – “ मैने एक गाना सुना था - ' ग़रीबों की सुनो, वो तुम्हारी सुनेगा, तुम एक पैसा दोगे, वो दस लाख देगा ! ’ क्या तुमने यह गाना सुना है ? क्या तुम मुझे इस गाने का मतलब बता सकते हो ? ” मैने उसे कहा कि – “ यह तो बहुत आसान है, इसका मतलब  यह है कि - जब भी हम किसी ज़रूरतमंद की मदद करते है, तो परमपिता परमात्मा बहुत खुश होता है ! अगर हम किसी की एक खुशी का कारण बनते है, तो वह हमें दस लाख खुशियाँ देता है ! ” मैने अभी बोलना ख़त्म ही किया था कि वह एकदम बोली - '' मुझे वो दस लाख खुशियाँ - गिफ्ट में चाहिए ! '' इतना कहकर वह बिल्कुल चुप हो गई ! मेरे बोलने के लिए तो कुछ रह भी नहीं गया था ! सही बताऊँ, मेरा दिमाग़ इतना घूम गया कि मुझे समझ ही नहीं आया कि मुझे क्या बोलना चाहिए !


हम दोनों बहुत देर तक एक दूसरे को देखते रहे ! कोई शब्द नहीं, कोई प्रश्न नहीं ! ऐसे लग रहा था जैसे हमारी तरह समय भी कुछ समय के लिए खामोश हो गया हो, या कुछ समय के लिए ठहर गया हो  ! कुछ समय बाद उसने ही इस खामोशी को भंग किया और बोली - “ तुम इतना पढ़ते हो, इतना अच्छा लिखते हो, इतनी नालेज है तुम्हारे पास, और तुम इतना अच्छा समझाते भी हो ! क्या तुम अपनी नालेज बाँटकर किसी की खुशी का कारण नहीं बन सकते ? मैने बचपन से सुना है कि “ विद्यादान महादान है ” ! विद्या को जितना बाँटोगे उतनी बढ़ेगी  ! यह कहकर वह फिर शांत हो गई !


मुझे अब समझ आ रहा था, कि मेरी पत्नी क्या कहना चाह रही है, और उसे किस तरह का अमूल्य गिफ्ट चाहिए था, साथ ही साथ, अपनी पत्नी की इस सोच पर गर्व भी महसूस हो रहा था !


मैने अपनी पत्नी का हाथ उठाकर अपने दिल पर रखा और कहा कि- '' मैं नहीं, मेरा दिमाग़ नहीं, मेरा दिल आज तुम्हें यह वचन दे रहा है कि मैं तुम्हें यह 'अमूल्य गिफ्ट' ज़रूर दूँगा ! ”


अब, जब समझने-समझाने, पढ़ने-पढ़ाने या ज्ञान बाँटने की बात आती है तो छह चीज़ों की ज़रूरत होती है ! विषय, विषय की समझ, समझाने वाला, समझने वाला, माध्यम ( जिसके द्वारा समझाया जाता है ) और समय !


पहली तीन चीजें तो मेरे पास थी, बाकि की तीन चीजों के बारे में सोचने की आवश्यकता थी ! जब सोचा कि किसे समझाया जा सकता है तो सबसे पहले उन लोगों का चेहरा सामने आया जो हमारी कंपनी में काम करते हैं ! उन लोगों का अपने लिए प्यार, रिस्पेक्ट, उनकी आँखों में समाया दर्द और उनके अंदर खो गई आशा की किरण भी दिखाई दी ! सच बताऊँ, इससे भी ज़्यादा एक अनकहा, दबा - ढ़का सा दर्द भी सामने आया ! वह दर्द जो उन्हें पीड़ा तो दे ही रहा है, साथ ही साथ अपने भविष्य को लेकर उनके अंदर एक डर भी पैदा कर रहा है ! दोस्तों, क्या आप जानते है उस दर्द को या उस दर्द के कारण को ?

 

चलिए, मैं बताता हूँ ! उस दर्द का नाम है " इंग्लिश " ! दोस्तों मैं जानता हूँ कि सामाजिक, पारिवारिक या आर्थिक परिस्थितिओं की वजह से अधिकतर लोग अच्छी " इंग्लिश " बोलने  या लिखने का ज्ञान प्राप्त नहीं कर पाते ! कई बार वह अपनी पारिवारिक परिस्थितिओं के कारण समय से पहले ही इतने बड़े हो जाते हैं कि अपने परिवार की आर्थिक आवश्यकताओं को पूरा करने में ही उनकी पूरी शक्ति, उनका पूरा समय ख़त्म हो जाता है ! चाह कर भी वे, अपने जीवन की प्रोग्रैस के लिए न समय निकल पाते हैं, न पैसा !


फिर मैंने सोचा कि जैसे बच्चें या एजेंट हमारी कंपनी में हैं, वैसे बच्चें या जरूरतमंद लोग तो दूसरी कम्पनीज़ में भी होंगे ! सिर्फ कम्पनीज़ में ही क्यों, पूरे हिंदुस्तान में होंगें ! और, हिंदुस्तान से बाहर भी ! इस तरह सोचते - सोचते अब समझाने के लिए मेरे सामने एक विस्तृत क्षेत्र था !

 

माध्यम, एक बड़ी समस्या थी, क्योंकि यदि मैं सिर्फ अपनी कंपनी से भी पढ़ाना शुरू करता तो समस्या यह थी कि हमारी कंपनी में पेन, पेपर  को यूज़ करना अलॉउड नहीं है ! किसी एक जगह इकट्ठा होकर क्लासिस देना भी संभव नहीं था ! क्योंकि आने-जाने में बहुत समय और पैसा खर्च होता और हमारी जॉब टाइमिंग्स के हिसाब से इसे मैनेज करना भी संभव नहीं था ! बहुत सोचने समझने के बाद मुझे एक ही रास्ता समझ में आया ! और दोस्तों, वह रास्ता था - " डिजिटल एजुकेशन " !  " डिजिटल एजुकेशन " ही एक ऐसा रास्ता था जिसके माध्यम से मैं न केवल अपनी कंपनी के बच्चों अपितु दुसरे जरुरतमन्द लोगो को भी पढ़ा कर, उन्हें जीवन में सफलता की नई  उचाईयों को  हासिल कराने में मदद कर सकता था ! आजकल सभी के पास मोबाइल, टैबलेट या लैपटॉप होते ही हैं ! तो मैने डिसाइड किया की मैं एक ब्लॉग बनाकर उसके माध्यम से आपको इंग्लिश समझाने की कोशिश करूँगा !


तो दोस्तों, यह ब्लॉग मैं समर्पित करता हूँ आप सभी को ! यह आपके लिए है ! आप इस ब्लॉग से जितना ज्ञान प्राप्त करना चाहते हैं, करें और वह भी बिल्कुल मुफ़्त ! यह ब्लॉग, मेरी ईमेल आईडी, मेरा फोन नंबर, स्वयं मैं, आपके लिए हमेशा प्रस्तुत हूँ ! कृपया करके मुझसे कभी भी प्रश्न पूछने में किसी भी तरह का संकोच न करें !

 

दोस्तों, जैसा कि आप जानते ही हैं कि मैं एक अंग्रेजी भाषा का टीचर हूँ ! मैं लगभग पिछले 15 सालों से “ स्पोकन  एंड रिटन इंग्लिश ” की ट्रैनिंग दे रहा हूँ ! इस क्षेत्र में अपने अनुभव के अनुसार, मैंने आप लोगों के लिए  [ Dinesh Goswami Free English Course ( दिनेश गोस्वामी फ्री इंग्लिश कोर्स ) ] डिजाइन किया है !

 

दोस्तों, मैने इस कोर्स को इस तरह से तैयार किया है कि कोई भी व्यक्ति चाहे वह स्कूल स्टूडेंट हो या कॉलेज स्टूडेंट, सर्विसमैन हो या बिजनेसमैन, रिटायर्ड पर्सन हो या हाउसवाइफ, सभी इस कोर्स का फायदा उठा सकते हैं ! यानी अच्छी इंग्लिश लिख सकते हैं, बोल सकते हैं !


 

[ प्रतिज्ञा ( Commitment ) ]

 

दोस्तों, मेरी एक  कमिटमेंट है आपसे ! एक वादा है आपसे, कि इस पूरे कोर्स के दौरान, मैं आपको किसी भी पॉइंट पर कुछ भी पैसे खर्च करने के लिए नहीं कहूँगा ! इस कोर्स की कुछ भी फीस नहीं है ! मुझे आपकी दुआओं के अलावा, आपसे कुछ नहीं चाहिए ! अगर मैं अपनी पूरी शक्ति से, अपने पूरे मन से, अपनी पूरी ईमानदारी से आपको कुछ सिखाने की कोशिश करूँगा, तो ऊपरवाला मुझे अपने आप बरकत देगा !

 

 

[ Suggestion ( सुझाव) ]

 

दोस्तों, मैं आप सभी को एक बात बहुत ध्यान से समझने के लिए कहूंगा कि यदि आप इस कोर्स से 100% फायदा उठाना चाहते हैं, तो आप इस कोर्स को करते समय किसी अन्य बुक या प्रोग्राम का सहारा न लें ! मुझे सिर्फ़ आपका १००% डेडिकेशन, डेटर्मिनेशन और डिवोशन चाहिए, बाकि सब इस कोर्स में है ! मुझे पूरा विश्वास है कि इस कोर्स को पूरा करने के बाद आप न केवल अच्छी इंग्लिश लिख सकेंगें, बल्कि बोल भी पाएंगें ! दोस्तों, मेरा पूर्ण विशवास है कि इस कोर्स को सम्पूर्ण करने से पहले ही आपके अंदर इतना आत्म-विश्वास पैदा हो जाएगा कि आप न केवल अच्छी इंग्लिश लिखने में अपितु अच्छी इंग्लिश बोलने में भी सक्षम हो सकेंगें !

 

[ Request ( निवेदन ) ]

 

दोस्तों, मैं यथा-शक्ति कोशिश करूंगा कि जितना संभव हो सके, मैं उतने आसान तरीके से यह कोर्स आपको समझा सकूं, जिससे आप इस कोर्स से ज्यादा से ज्यादा फायदा उठा सकें ! आप अच्छी इंग्लिश लिख और बोल पाएं ! और इस ज्ञान का लाभ उठाते हुए अपने जीवन में निरंतर सफलता की नई  उचाईयों को  हासिल करें ! फिर भी अगर आपके दिमाग में कोई भी प्रश्न या संशय हो तो आप मुझे मेरी ईमेल आइडी. पर कांटेक्ट कर सकते हैं, या मेरे ब्लॉग पर “ कांटेक्ट फॉर्म ” यूज़ कर सकते हैं !

 

आप सभी को बहुत-बहुत शुभकामनाएँ !

 

धन्यवाद !


हार्दिक शुभकामनाओं सहित,

  

आपका शुभचिंतक,

  

दिनेश गोस्वामी

 

 Blog  : dineshgoswamifreeenglishcourse.blogspot.com

 

 Email : dineshgoswamifreeenglishcourse@gmail.com